🚩 चार साल बेमिसाल 🚩
1 – अयोध्या काशी मथुरा चित्रकूट कोरिडोर।
2- किसान सम्मान निधि।
3- दंगा मुक्त प्रदेश।
4- चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी।
5- 30 नए मेडिकल कॉलेज दो एम्स।
6- देश की सबसे अधिक अर्थव्यवस्था वाला दूसरा राज्य।
7- 121000 गांव को बिजली।
8- दो करोड़ 64 लाख शौचालय वाला देश का प्रथम राज्य।
9- शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक सुधार विद्यालयों की बदली सूरत।
10- 80000 राशन की दुकानें ईपास मशीन से जुड़ी भ्रष्टाचार पर लगाम।
11 एक साथ पांच एक्सप्रेसवे और 5 इंटरनेशनल यह हवाई अड्डा का निर्माण।
12- प्रधानमंत्री आवास योजना बनवाने में देश का प्रथम राज्य।
13- कोरोना काल में 56000 करोड़ों रुपए के निवेश के साथ निवेशकों की पहली पसंद।
14- 4 साल में 13000 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण 3 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें हुई गड्ढा मुक्त।
15- एंटी भू माफिया कानून, एंटी रोमियो कानून
16- कई शहरों में मेट्रो परियोजना का शुभारंभ।
17- 200 से अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन।
18- इज ऑफ डूइंग में 15 स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा प्रदेश।
19- जलमार्ग का विस्तार।
20- माफिया और दंगाइयों के खिलाफ सख्त कानून सरकारी संपत्ति नुकसान करने वालों से वसूली।
21- गन्ना किसानों का समय से भुगतान।
22- डेढ़ गुना एमएसपी पर किसानों की पैदावार की खरीद।
इस तरह के सैकड़ों जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने के बाद योगी सरकार के 4 साल बेमिसाल।
सन 2014 से जबसे मोदी सरकार आयी है, हमें विकसित देशों से ऋण मिलना बन्द हो गया है या दूसरे शब्दों में कहें तो हमने ऋण लेना लगभग बंद कर दिया है।
आप सब लोग एक लंबा शासनकाल यूपीए गवर्नमेंट का देखा है।
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह का।
ये लोग जब भी अमेरिका, जापान, फ़्रांस या जर्मनी जब भी जाते थे हम लोग इनकी उपलब्धियों का अंदाज़ा इस बात से लगाते थे कि कितना ऋण इनको वहां से मिला ?
हमारे प्रधानमंत्री पूरी यात्रा में हीन भावना से ग्रसित दिखाई देते।
हम लोग भले ही इसे मैत्री यात्रा कहें पर ये मित्रता न होकर हमे हीन भावना में धकेलने की साजिश होती थी और बदले में विकसित देशों को मिलता था हमारे अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार।
अब यूपीए वालों को कौन समझाए मित्रता बराबर वालों में होती है मालिक और कर्मचारी में नहीं।
इस मामले में भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही नजरिये से देखे जाते थे।
यानि पाकिस्तान भी ऋण पाने के लिए दौड़ लगाता था और भारत भी और इस मामले में भी पाकिस्तान भारत पर भारी पड़ता था।
पाकिस्तान को जहां अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारी भरकम ऋण मिलता था वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा भी पाकिस्तान को हासिल होती थी।
पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने वाला देश कहकर प्रचारित किया जाता था, उसके लिए लंबे चौड़े फण्ड की व्यवस्था की जाती थी।
यानी हमारी विदेश नीति भी पूरी तरह विफल थी।
बेइज्जती का आलम ये था कि जब भी हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका यात्रा का प्रोग्राम बनाते तो उससे पहले विदेशमंत्री के साथ एक शिष्ट मंडल अमेरिका जाता जहां उनकी रूटीन तलाशी होती।
फिर विदेश मंत्री के साथ अमेरिकी अधिकारी बातचीत करते और दो प्रधानमंत्रियों की मीटिंग की और वांछित ऋण की रुपरेखा तैयार होती।
भारत की छवि विदेशों में एक भीख मांगने वाले देश के रूप में प्रचारित हो चुकी थी।
मोदी जी का पहला अमेरिकी दौरा शायद किसी प्रधानमंत्री का पहला ऐसा दौरा था जिसमे भारत ने किसी भी प्रकार का ऋण नहीं लिया था।
एक अखबार ने गलती से एक कार्टून प्रचारित किया था जिसमे मोदी जी ओबामा के आगे याचक की भूमिका में हैं।
दूसरे दिन उस अखबार को वहां के स्थानीय भारत निवासियों और अमेरिकी अधिकारियों से भी इतनी झाड़ मिली कि उस अखबार के मालिक को सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी पड़ी।
आज पाकिस्तान अकेले ऋण के लिए दौड़ लगा रहा है।
भारत की भीख मांगने की छवि बहुत पीछे छूट चुकी है। विकसित देश मोदी जी को जो सम्मान दे रहे हैं वो अद्वितीय है।
विकसित देशों को लुभाने के लिए भारत के पास एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बाज़ार है, अमेरिका से भी ज्यादा सस्ती राकेट प्रक्षेपण क्षमता है।
Important
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बंगाल मै कर्फ्यू ओर लॉक डाउन लगा दो…फिर देखो कमाल..?😂
Chinta kaisa, chunav rally mei chinta tel lene chala jata hai
Love you sir jai hind
Thank you sir jai hind dna sudheesh ji
Jay Jawan jai Kissan
Ager hmari exam na hui na to fir bahut bura dekhoge
chunav prchar m corona na h
हिन्दूओ 1 होकर वोट दो,,,वोट की गिनती होती है,,
100 करोड़ की नहीं,,,
घर से झुंड मे निकलो,,,वोट दो bjp दो,,
अपनी आने वाली,पीढी को बचाना है तो,,
🚩 चार साल बेमिसाल 🚩
1 – अयोध्या काशी मथुरा चित्रकूट कोरिडोर।
2- किसान सम्मान निधि।
3- दंगा मुक्त प्रदेश।
4- चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी।
5- 30 नए मेडिकल कॉलेज दो एम्स।
6- देश की सबसे अधिक अर्थव्यवस्था वाला दूसरा राज्य।
7- 121000 गांव को बिजली।
8- दो करोड़ 64 लाख शौचालय वाला देश का प्रथम राज्य।
9- शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक सुधार विद्यालयों की बदली सूरत।
10- 80000 राशन की दुकानें ईपास मशीन से जुड़ी भ्रष्टाचार पर लगाम।
11 एक साथ पांच एक्सप्रेसवे और 5 इंटरनेशनल यह हवाई अड्डा का निर्माण।
12- प्रधानमंत्री आवास योजना बनवाने में देश का प्रथम राज्य।
13- कोरोना काल में 56000 करोड़ों रुपए के निवेश के साथ निवेशकों की पहली पसंद।
14- 4 साल में 13000 किलोमीटर नई सड़कों का निर्माण 3 लाख किलोमीटर से अधिक सड़कें हुई गड्ढा मुक्त।
15- एंटी भू माफिया कानून, एंटी रोमियो कानून
16- कई शहरों में मेट्रो परियोजना का शुभारंभ।
17- 200 से अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन।
18- इज ऑफ डूइंग में 15 स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचा प्रदेश।
19- जलमार्ग का विस्तार।
20- माफिया और दंगाइयों के खिलाफ सख्त कानून सरकारी संपत्ति नुकसान करने वालों से वसूली।
21- गन्ना किसानों का समय से भुगतान।
22- डेढ़ गुना एमएसपी पर किसानों की पैदावार की खरीद।
इस तरह के सैकड़ों जनकल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने के बाद योगी सरकार के 4 साल बेमिसाल।
एक पुरानी बात जिसे बार बार बताने को मन करता है
आपको एक बात तो माननी पड़ेगी।
सन 2014 से जबसे मोदी सरकार आयी है, हमें विकसित देशों से ऋण मिलना बन्द हो गया है या दूसरे शब्दों में कहें तो हमने ऋण लेना लगभग बंद कर दिया है।
आप सब लोग एक लंबा शासनकाल यूपीए गवर्नमेंट का देखा है।
इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, नरसिम्हा राव और मनमोहन सिंह का।
ये लोग जब भी अमेरिका, जापान, फ़्रांस या जर्मनी जब भी जाते थे हम लोग इनकी उपलब्धियों का अंदाज़ा इस बात से लगाते थे कि कितना ऋण इनको वहां से मिला ?
हमारे प्रधानमंत्री पूरी यात्रा में हीन भावना से ग्रसित दिखाई देते।
हम लोग भले ही इसे मैत्री यात्रा कहें पर ये मित्रता न होकर हमे हीन भावना में धकेलने की साजिश होती थी और बदले में विकसित देशों को मिलता था हमारे अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार।
अब यूपीए वालों को कौन समझाए मित्रता बराबर वालों में होती है मालिक और कर्मचारी में नहीं।
इस मामले में भारत और पाकिस्तान दोनों एक ही नजरिये से देखे जाते थे।
यानि पाकिस्तान भी ऋण पाने के लिए दौड़ लगाता था और भारत भी और इस मामले में भी पाकिस्तान भारत पर भारी पड़ता था।
पाकिस्तान को जहां अमेरिका और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष से भारी भरकम ऋण मिलता था वहीं संयुक्त राष्ट्र संघ की सुरक्षा भी पाकिस्तान को हासिल होती थी।
पाकिस्तान को आतंकवाद से लड़ने वाला देश कहकर प्रचारित किया जाता था, उसके लिए लंबे चौड़े फण्ड की व्यवस्था की जाती थी।
यानी हमारी विदेश नीति भी पूरी तरह विफल थी।
बेइज्जती का आलम ये था कि जब भी हमारे प्रधानमंत्री अमेरिका यात्रा का प्रोग्राम बनाते तो उससे पहले विदेशमंत्री के साथ एक शिष्ट मंडल अमेरिका जाता जहां उनकी रूटीन तलाशी होती।
फिर विदेश मंत्री के साथ अमेरिकी अधिकारी बातचीत करते और दो प्रधानमंत्रियों की मीटिंग की और वांछित ऋण की रुपरेखा तैयार होती।
भारत की छवि विदेशों में एक भीख मांगने वाले देश के रूप में प्रचारित हो चुकी थी।
मोदी जी का पहला अमेरिकी दौरा शायद किसी प्रधानमंत्री का पहला ऐसा दौरा था जिसमे भारत ने किसी भी प्रकार का ऋण नहीं लिया था।
एक अखबार ने गलती से एक कार्टून प्रचारित किया था जिसमे मोदी जी ओबामा के आगे याचक की भूमिका में हैं।
दूसरे दिन उस अखबार को वहां के स्थानीय भारत निवासियों और अमेरिकी अधिकारियों से भी इतनी झाड़ मिली कि उस अखबार के मालिक को सार्वजनिक तौर पर माफ़ी मांगनी पड़ी।
आज पाकिस्तान अकेले ऋण के लिए दौड़ लगा रहा है।
भारत की भीख मांगने की छवि बहुत पीछे छूट चुकी है। विकसित देश मोदी जी को जो सम्मान दे रहे हैं वो अद्वितीय है।
विकसित देशों को लुभाने के लिए भारत के पास एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बाज़ार है, अमेरिका से भी ज्यादा सस्ती राकेट प्रक्षेपण क्षमता है।
सम्मान यूँ ही नहीं मिलता इसे हासिल करना पड़ता है।